¤†à¤œ जगत गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामाननà¥à¤¦à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी की जयनà¥à¤¤à¥€ के अवसर पर आप सà¤à¥€ को बधाई हो जय गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ जय सीयाराम जय माराज सा जय दà¥à¤µà¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद को मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आंदोलन का महान संत माना जाता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रामà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की धारा को समाज के निचले तबके तक पहà¥à¤‚चाया। वे पहले à¤à¤¸à¥‡ आचारà¥à¤¯ हà¥à¤ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। उनके बारे में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कहावत है कि - दà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¡à¤¼ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ उपजौ-लायो रामानंद।यानि उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद को जाता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समाज में बà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ जैसे छूयाछूत, ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया। ॥ आरंà¤à¤¿à¤• जीवन ॥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद का जनà¥à¤® पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—(इलाहाबाद) में à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ परिवार में हà¥à¤† था। उनकी माता का नाम सà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¾ देवी और पिता का नाम पà¥à¤£à¥à¤¯ सदन शरà¥à¤®à¤¾ था। आरंà¤à¤¿à¤• काल में हीं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई तरह के अलौकिक चमतà¥à¤•à¤¾à¤° दिखाने शà¥à¤°à¥‚ किये। धारà¥à¤®à¤¿à¤• विचारों वाले उनके माता-पिता ने बालक रामानंद को शिकà¥à¤·à¤¾ पाने के लिठकाशी के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राधवानंद के पास शà¥à¤°à¥€à¤®à¤ à¤à¥‡à¤œ दिया। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤ में रहते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेद, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ और दूसरे धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤‚थों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया और पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤‚ड विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बन गये।पंचगंगा घाट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤ में रहते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कठोर साधना की। उनके जनà¥à¤® दिन को लेकर कई तरह की à¤à¥à¤°à¤‚तियां पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है लेकिन अधिकांश विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ मानते हैं कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ का जनà¥à¤® 1400 ईसà¥à¤µà¥€ में हà¥à¤† था। यानि आज से कोई सात सौ दस साल पहले. शिषà¥à¤¯ परंपरा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद ने राम à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का दà¥à¤µà¤¾à¤° सबके लिठसà¥à¤²à¤ कर दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनंतानंद, à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¤‚द, पीपा, सेन, धनà¥à¤¨à¤¾, नाà¤à¤¾ दास, नरहरà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द, सà¥à¤–ानंद, कबीर, रैदास, सà¥à¤°à¤¸à¤°à¥€, पदमावतीजैसे बारह लोगों को अपना पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शिषà¥à¤¯ बनाया, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ महाà¤à¤¾à¤—वत के नाम से जाना जाता है। इनमें कबीर दास और रैदास आगे चलकर काफी खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ किये। कबीर औऱ रविदास ने निरà¥à¤—à¥à¤£ राम की उपासना की। इस तरह कहें तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद à¤à¤¸à¥‡ महान संत थे जिसकी छाया तले सगà¥à¤£ और निरà¥à¤—à¥à¤£ दोनों तरह के संत-उपासक विशà¥à¤°à¤¾à¤® पाते थे। जब समाज में चारो ओर आपसी कटूता और वैमनसà¥à¤¯ का à¤à¤¾à¤µ à¤à¤°à¤¾ ङà¥à¤† था, वैसे समय में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद ने नारा दिया-जात-पात पूछे ना कोई-ङरि को à¤à¤œà¥ˆ सो हरी का होई. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सरà¥à¤µà¥‡ पà¥à¤°à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¥‡à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥‹à¤‚ मताः कà